"गॉव "
हरियाली छाई है ... 
मानो  वसंत  की  नए  घटा  छाई  है 
मौसम है सुहाना ..
लोगो में भाईचारे की लय छाई है 
सब है .. खुश बिना किसी भी लाभ के आज हुए .. जनो की मिलाई है 
उजली फसल 
मिठाई सी घुलती कानो में 
ये रमणीय भाषा 
सब हमारी सभ्यता की याद आई है 
"गॉव में ही बस्ता हमारा आधा भारत 
हमारा किसान भाई है "
गाँधी जी ने भी दिया था नारा 
"भारत का विकास 
गॉव से ही आएगा  
अपने साथ खुशिया ले कर आएगा "

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